मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कैलेन्डरमे देखके कुछ लोग आज खीर खाके मनएले हए सावन १५
सावन १५ गतेके दिन मधेसमे कौनो खास संस्कृति नरहलापर भी नेपाली कैलेन्डरके देखके कुछ लोग खीर खाके सावन १५ मनएले हए । नेपाली कैलेन्डरके मोताबिक सावन १५ गते खीर खाएके चलन हए । खीर खाएके चलनके पहाडी समुदाय खुब धुमधामसे मनएले हए । पहाडके ओर रहके आएल मधेसी समुदायके लोग भी सावन १५ के दिन अपना घरमे खीर खाके सावन १५ मनएले हए ।

विभिन्न महादेव मन्दिरमे बढते जारहल हए भीड
विभिन्न महादेव मन्दिरमे भीड बढते जारहल देखलगेल हए । बाराके काँटघाट, रौतहटके शिनगर आ झारखन्डके बाबाधामके यात्रा करेबाला लोगके संख्या हर दिन बढइत देखल जारहल हए । हर दिन हजारो लोग विभिन्न ओर प्रस्थान करइत देखल जारहल हए । चारोओर अभी शिवके भक्ति गीत गुन्जइत माहौल बनल हए । हर चौक, बजार, गाँओ, मठ मन्दिर, विभिन्न धार्मिक स्थानसे लेके रेडियो एफएम तथा विभिन्न भारतीय टेलिभिजन चैनलमे शिवसे सम्बन्धित धार्मिके गीत गुन्जरहल हए । आसाढके पुर्नेमाके बाद एकेबेर शिवके रंगमे समाज रंगाएल नजर आरहल हए । जेनेतेने शिवनगर, काँटघाट, पशुपतिनाथ आ बाबाधामके चर्चा चलरहल हए । रौतहटसे लोग शिवनगर आ बाबाधाम जाएके चलन अत्यधिक रहल हए । हर साल पचास हजारसे बेसी लोग रौतहटसे बाबा धाम जारहल हए । एई साल सर्वसाधारणके धान खेती समयपर ही होगेलाके कारण सर्वसाधारणके कुछ फुर्सत भेल हए । फुर्सतके समयमे लोग धार्मिक यात्रा करेके चलन बढरहल हए ।

सावन भादोमे कुटमैता जाएके चलन होरहल हए लोप
सावन आ भादो महिनामे कुटमैता जाएके चलन अब धीरेधीरे लोप होरहल हए । धानके रोपनी सुधाके पहिले अपना करकुटमैता जाएके चलन रहे । अपना बेटी, बहिन, मामाके घरेसे लेके लोग अपना दोस, मित, प्रेमी, जोडीके साथे गाँओसे दोसरा गाँओमे रहेबाला मित्रके घरे जाएके चलन रहे । अइसही दूचार दिन ससुरारमे बिताबेके भी चलन रहे । लोग हाथमे लाठी लेके अपना नजदिकके आदमीसे भेट करे चलेके चलन रहे । देशभुइँ देखेके, हालचाल बुझेके, रिस्तादारीके आउरो मजगुत करेके, एक दोसराके उपर स्नेह बढाबेके आ दुखसुख बतुआएके चलन अब धीरेधीरे कमजोर होरहल हए । लोगके हाथहाथमे मोबाइल भेल आ व्यस्तता बढलाके साथे अत्याधुनिक संचारके साधनके विकास होएलाके कारण मिलके होएबाला बहुत काम मोबाइलसे ही करले रहल हए । पहिलेके तुलनामे यातायात साधनके विकास भेल आ लोगके आर्थिक प्रगति भी होएलाके कारण करकुटमैता जाएसे बेसी खेती सुधाके सालमे एकबेर कौनो तीर्थाटन करेके चलनके विकास बेसी होरहल हए । धार्मिक यात्रामे अप्रत्यशितरुपसे वृद्धि भेल लेकिन अपन पुरनका संस्कारमे रहल नाताके नवीकरण करेके चलन करिब करिब लोप होएके कगारपर पुगल हए । मित्र मिलनके असल चलन हमनीके समाजसे कमजोर होइतगेल अवस्थाके विषयपर समाजमे कौनो चिन्ता करेबाला भी नरहल हए । कुछ बूढपुरान लोग अभी भी सावन भादोमे करकुटमैता जाएके चलनके निर्वाह करइत देखाइपरले लेकिन अइसन चलन नवयुवा पुस्तामे करिब नके बराबर रहल हए । दू परिवारबीच प्रत्यक्ष एवं हार्दिक सम्बन्धके नयाँ आधारसब विकास होइतगेलासे घरे आबेजाएके पुरनका आधार कमजोर भेल बूढपुरानलोगके कहनाम रहल हए । एकरा नयाँ रुपमे विकास करेके आवश्यकता रहल भी बूढ पुरनियालोगके कहनाम रहल हए ।

मसिनसे कापी जाँचेके प्रविधि लेआरहल हए शिक्षक सेवा आयोग

शिक्षक सेवा आयोग मसिनसे कापी चेक करेबाला प्रविधि लेआरहल हए । वस्तुगत प्रश्नके उत्तर जाँचेके लेल अप्टिकल मार्क रिडर ओएमआर मसिन लेआबेके तैयारी कररहल हए । अब खुलेबाला विज्ञापनमे सहभागी होएबाला परीक्षार्थीके कापी आएमआर प्रविधिसे चेक करेके लेल आयोग अध्ययन बढएले हए । परीक्षाके चुस्त दुरुस्त बनाके कापी चेकके त्रुटिरहित करइत परीक्षणमे लागेबाला समयके भी बचत कके जल्दी रिजल्ट निकालेला प्रविधि लेआबेके तैयारी होरहल हए । एसे पहिले पहिले शिक्षा मन्त्रालय एमबिबिएस परीक्षाके कापी चेक करेला मगएले मसिन खाली रहलासे उहे मसिनके प्रयोग करेला मन्त्रालयसे बातचित अगाडि बढल हए । नेपालमे लोकसेवा आयोग अइसन प्रविधिके मार्फत कापी चेक करइत आएल हए ।

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